Will Five Generation Of Computer Ever Rule the World?
Generation of Computer (कंप्यूटर की पीढ़ियां)
जिस तरह मनुष्य की पीढियां होती है ठीक उसी तरह कंप्यूटर की पीढियां भी है। आज की इस पोस्ट मे उसी Five Generation Of Computer के बारे मे बात करने वाले है कि कंप्यूटर की पांच पीढ़ियां कौन - कौनसी है? और किस तरह कंप्यूटर पीढी दर पीढी Change होता गया। Last Post में आपने जाना कि What Is Computer के बारे मे। अब कंप्यूटर पीढ़ी के बारे मे जाने। तो बिना देर किये शुरू करते है।
Computer Generation ( कंप्यूटर की पीढ़ियां )
सन् 1946 में First Electronic Devices, वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) से जुड़ा ENIAC COMPUTER की शुरूआत ने कम्प्यूटर के विकास को एक नई दिशा प्रदान की। वैसे इससे पहले भी एक अबेकस नामक कंप्यूटर का उदभव हो चुका था लेकिन वो कोई खास कंप्यूटर नही था। Computer Development के इस क्रम में कई Important Devices की सहायता से Computer ने आज तक की यात्रा तय की। इस विकास के क्रम को हम Abacus कम्प्यूटर से लेकर आज तक हुए मुख्य परिवर्तन के आधार पर निम्नलिखित पॉंच पीढि़यों में कंप्यूटर को बांटते हैं:-
Five Generation of Computer (कंप्यूटर की पांच पीढियां)
कंप्यूटर की 5 पीढ़िया इस प्रकार है -
प्रथम कंप्यूटर 1946 में अस्तित्व में आया था तथा उसका नाम इलेक्ट्रॉनिक न्यूमेरिकल इंटीग्रेटेड एंड केलकुलेटर (ENIAC) था। इसका अविष्कार जे.पी एकर्ट (J.P Eckert) तथा जे.डब्ल्यू. मोशले (J.W. Mauchly) ने किया था।
- यह आकार में सबसे बड़े Computer थे ।
- इन कंप्यूटरों में मुख्य रूप से वेक्यूम ट्यूब ( Vacuum Tube) या डायोड वाल्व (Diode Valve) नामक इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे का प्रयोग होता था।
- इनकी Data Processing गति बहुत ही कम थी।
- इस पीढ़ी के computer में काफी भारी वजन के थे, अतः इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना संभव नहीं था।
- First generation of computer में विद्युत ऊर्जा की खपत काफी अधिक थी।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत महंगे होने के साथ - साथ Use करने में भी बहुत ही कठिन थे।
- प्रथम पीढ़ी के Computer Machine Language पर कार्य करते थे, जहां सभी कमांड तथा डाटा 0 तथा 1 में दिए जाते थे।
- Data Store करने के लिए पंच कार्ड (Punch ard) का Use होता था।
- प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर चलाने के लिए कई व्यक्तियों की जरूरत पड़ती थी।
- इन कंप्यूटर के परिणाम अधिक विश्वसनीय नहीं थे।
William shockley (विलियम शौकली) तथा उनके सहयोगी Scientists द्वारा अमेरिका की बेल प्रयोगशाला ( Bell Laboratories) में ट्रांजिस्टर (Transistor) नामक एक अन्य इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे का आविष्कार किया गया था। यह अर्धचलित (Semi Conductor) पदाथो से मिलकर बना था तथा इसकी कार्य क्षमता Vacuum Tube से कहीं अधिक थी। इसे Second Generation के कंप्यूटरों में मुख्य अवयव के रूप में प्रयोग किया गया था। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थी।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में Vacuum Tube के स्थान पर Transistors का Use किया गया था।
- Transistors के Use के कारण Second Generation के कंप्यूटरों का आकार काफी Small था।
- Transistor में उष्मा कम निकलती थी, अतः इन कंप्यूटरों की लगातार कार्य करने की Ability अधिक थी।
- आकार में छोटे होने के कारण यद्यपि इनका वजन प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की तुलना में काफी कम था, फिर भी इन का Transfer काफी मुश्किल था।
- इन्हें सिर्फ 1-2 व्यक्ति भी आसानी से Controlled कर सकते थे।
- Second generation of computers की Processing गति First generation of computers की तुलना में काफी अधिक थी।
- ये Computer कम Price के होने के साथ साथ Use करने में आसान थे।
- इनमें डाटा संचित करने के लिए चुम्बकीय टेप (Magnetic Tape) का Use किया गया था।
- इनमें Work करने के लिए Assembly language का Use होता था, जो की Machine Language की तुलना में काफी आसान थी।
- Second generation of computers- UNIVAC, IBM-700 and ATLAS Etc.
Third Generation of Computer के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आया। जब Scientists ने सैकड़ों Transistors को मिलाकर एक अधिक शक्तिशाली Electronic components इंटीग्रेटेड सर्किट (Integrated Circuit) का आविष्कार किया। इसे तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटरों में मुख्य अवयव के रूप में Use किया गया। इस Generation of computers की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
- इन Computer में Transistor के स्थान पर IC का Use किया गया जोकि Transistor अधिक Powerful थी।
- IC का आकार Transistor के परिपथ के आकार से छोटा होने के कारण इस पीढ़ी के कंप्यूटरों का आकार भी Very Small था।
- इन कंप्यूटरों का Weight भी द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में काफी कम था अतः इनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर Transfer Easy था।
- इन कंप्यूटरों में विद्युत परिपथो का आकार छोटा होने के कारण इनके Processing गति अधिक थी।
- द्वितीय पीढी के कंप्यूटर की तुलना में इनका मूल्य कम था इस कारण इनका उपयोग बढ़ गया था।
- इन कंप्यूटर का उत्सर्जन काफी कम था अतः वातानुकूल यंत्र लगाने पर इन्हे घंटों चलाकर कार्य किया जा सकता था।
- तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर में कार्य करने के लिए High Level Language (उच्च स्तरीय भाषा) का प्रयोग किया गया था। प्रथम High Level Language का नाम फॉरट्रान (FORTRAN) था।
- इस पीढ़ी के Computer operation के लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति की आवश्यकता होती थी।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटर में Internal memory (आंतरिक मेमोरी) भी दी गई थी जिससे इनकी भंडारण क्षमता बढ़ गई थी।
- इस पीढ़ी के निर्मित कंप्यूटर में मुख्यतः थे - PDP कंप्यूटर तथा CDC-1700 आदि।
Forth Generation के समय मे कंप्यूटर का सर्वाधिक Development हुआ। इसी पीढी मे वे कंप्यूटर बने जो की विविध विविध कार्य करने में सक्षम थे - गणना करना, चित्र बनाना, ध्वनि तैयार करना, डेटा संचार करना आदि। इस पीढी के आरंभ से ही सन् 1971 में एक Scientist Ted Haff (टेड हॉफ) ने दुनिया का पहला माइक्रोप्रोसेसर बनाया जिसे ईसे पीढी तथा आने वाली पीढ़ी में भी मुख्य अवयव के रूप में प्रयोग किया गया। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों की विशेषताएं निम्नलिखित थी-
- छोटे-छोटे Circuits के use के कारण इनका Shape काफी कम था। इस पीढ़ी के कंप्यूटर लगभग Portable Computer की श्रेणी में आते थे। Desktop Computer, Notebook Computer (Laptop) Palm Top Computer (पॉम टॉप कंप्यूटर) आदि इसी पीढ़ी के कंप्यूटरों का उदाहरण है।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग गति Last Three Generations से काफी High थी। यह कंप्यूटर Micro Second तथा Nano Second (नैनो सेकंड) में Work करते थे।
- उष्मा सहन करने की Ability काफी अधिक होने के कारण यह Air Conditioning Plant के बिना भी कार्य करने में Capable थे।
- इन कंप्यूटरों की कम कीमत होने के कारण इनका Use भी Generality में होता था।
- इनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण, कम भार होने के कारण Easy था।
- इनकी विश्वसनीयता काफी अधिक थी, क्योंकि इनके परिणाम 100% सही होते थे।
- इनकी Storage Capacity अन्य पीढ़ियों के कंप्यूटर की तुलना में काफी अधिक थी।
- Easy Structure होने के कारण, इस पीढ़ी के कंप्यूटरों का Maintenance काफी आसान था।
- इन कंप्यूटर में भी Work करने के लिए High Level Language का Use किया जाता था। इस पीढ़ी में विकसित कुछ उच्च स्तरीय भाषाएं हैं - बेसिक (BASIC), कोबोल (COBOL), पास्कल (PASCAL) आदि।
- इस पीढी के कंप्यूटरो मे मुख्य है - IBM-PC, ZX-SPECTRUM आदि।
पंचम पीढी के कंप्यूटर :- 1985 से अभी तक
वैसे तो आज भी चतुर्थ पीढी के कंप्यूटर ही प्रचलन मे है लेकिन फिर भी कंप्यूटर की पांचवी पीढी अब आ चुकी है। इस पीढी के कंप्यूटर मे सबसे प्रमुख विशेषता इनकी सोचने - समझने तथा निर्णय लेने की Capacity है। इस पीढी के कंप्यूटरो मे मुख्यतः निम्नलिखित विशेषताएँ है -
- इन कंप्यूटरों में VLSIC (Very Large Scale Integrated Circuit) तकनिक का Use किया गया है।
- इन कंप्यूटरों में Artificial Intelligence : AI दिमाग उपस्थित है, जिसके कारण इनमें Decision लेने की Capacity है।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटर दो या तीन वस्तुओं में तुलना करने तथा Suitable Thing का चुनाव करने में Capable है।
- इसकी Processing Speed काफी अधिक है ये कंप्यूटर अरबो गणना सेकंड में करते हैं। इनकी गति पिको सेकंड (Pico Second) में मापी जाती है।
- इनकी कीमत काफी अधिक है तथा ये सामान्य जरूरत के कंप्यूटर नहीं है। इनका प्रयोग वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं (Scientific Laboratories)में ही देखा जाता है।
- इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में मुख्य रूप से भारत में ही निर्मित कंप्यूटर परम (PARAM) शामिल है।
- सुपर कंप्यूटर तथा रोबोट आदि मशीनें इसी पीढ़ी के कंप्यूटरों की श्रेणी में आते हैं।
- इस प्रकार के कंप्यूटरों को, नॉलेज इनफॉरमेशन प्रोसेसिंग सिस्टम (Knowledge Information Processing System) कहा जाता है।
सारांश :-
इस पोस्ट में आपने पढ़ा कि Five Generation Of Computer यानी कंप्यूटर की पांच पीढ़ियों के बारे में। कि किस तरह कंप्यूटर अपना आकार और गति बदलता गया। अंत मे कंप्यूटर सुपर कंप्यूटर का रूप ले लिया जिसकी Speed की पहचान करना काफी मुश्किल हो गया है। आज आधुनिक युग मे कंप्यूटर रोबोट की रूप मे सबके दिलों छाया हुआ है और सबकी जरूरते पूरी कर रहा है।
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